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रामपुरा कला में है प्राकृतिक सौंदर्य बारिश में 20 हजार से अधिक सैलानी पहुंचते हैं प्रकृति का लुत्फ उठाने Rampura kalan

रामपुरा कला में है प्राकृतिक सौंदर्य बारिश में 20 हजार से अधिक सैलानी पहुंचते हैं प्रकृति का लुत्फ उठाने

      पर्यटन स्थल है रामपुरा झरना,


रामपुरा में तीन झरने, 25 फीट ऊंची पहाड़ी से गिरता है पानी


सीहोर. आष्टा तहसील मुख्यालय से
करीब 27 किमी दूर स्थित रामपुरा
कला गांव को तीन झरना प्राकृतिक
विरासत में रूप में मिले हैं। बारिश में
चार महीने यहां करीब 25 फीट ऊंची
पहाड़ी से झरने गिरते हैं तो ऐसा
लगता है कि प्रकृति इठला रही है।
इसे देखने सीहोर के साथ देवास
जिले से बड़ी संख्या में सैलानी आते
हैं, लेकिन बदकिस्मती यह है कि
प्रशासन की अनदेखी के कारण इन्हें
पर्यटन स्थल के रूप में पहचान नहीं
मिल रही है। जिला प्रशासन इन
झरना का कायाकल्प करे तो यह एक
अच्छे पिकनिक स्पॉट के रूप में
विकसित हो सकता है।
आटा-कन्नौद मार्ग स्थित जोड़ से
रामपुरा कलां के बीच एक किमी के
दायरे में जंगल से तीन झरने निकले

हैं। धरेड़ी और झिरनिया झरना सड़क
किनारे है तो झिरी वाला थोड़ी दूर
जंगल में हैं। बारिश की शुरुआत से ही
इनसे पानी गिरने की शुरूआत हो
जाती है और यह निरंतर समाप्त होने
तक चलता है। पहाड़ी से आने वाला
पानी इन झरनों से गिरता है तो नजारा
देखते ही बनता है। जंगल में आसपास
हरियाली के साथ झरनों से गिरता पानी
लोगों को सुकून का एहसास कराता
है। इस वजह से पिकनिक स्पॉट के
रूप में भी प्रसिद्ध है।



बेहतरीन पलों को मोबाइल और
कैमरों में कैद कर ले जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि झरने सीहोर जिले
की अंतिम और देवास जिले की एक
किमी दूर सीमा के पास मौजूद हैं। इस
वजह से देवास जिले के लोग आते हैं।


झरनों को संवारने
नहीं बनाया प्लान
पटेल का कहना है कि
प्राकृतिक धरोहर के रूप में
मिले इन झरनों को संवारने
अभी तक कोई प्लान नहीं बना
है। अंदाजा इससे ही लगाया
जा सकता है कि झरने के
साइड से पहाड़ी पर चढ़ने कोई
ठीक से रारता और बैठने के
लिए कोई इंतजाम नहीं है।
इसके अलावा अन्य सुविधा का
अभाव है। ग्रामीण इस समस्या
को दूर कर सनी व्यवस्था
जुटाने मांग कर रहे हैं, लेकिन
सुनवाई नहीं हुई है। शासन,
प्रशासन पहल करता है तो यह
झरने राजस्व बढ़ाने का भी
काम कर सकते हैं।

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